Thursday, 21 December 2017

सभी हिन्दू लोग विदेशी ब्रह्मिनो के लिए अस्पृश्य रहे है :

विदेशी ब्रह्मिनो ने सर्व प्रथम सभी हिंदुस्तानी हिन्दू लोगो को अस्पृश्य माना ,असंबन्ध, उसके बाद थोड़े सम्बन्ध , चुनकर सम्बन्ध जैसे रास्ते अपनाकर केवल हिन्दू के चार विभाग किये अस्पृश्य , शूद्र , वैश्य , क्षत्रिय।  खुद को ब्राह्मण धर्मी होने के कारण ब्राह्मण और सभी से अलग बनाये रखा।  पुरातन काल में जिस देश को गोंडवान कहा गया उन गोंड , भिल्ल के देवता भगवान शिव को चांडाल कहा गया जो की अस्पृश्य या असंबन्ध लोगो की श्रेणी में रखा गया।  इस प्रकार आज के सभी आदिवासी भी अस्पृश्य की हिन्दू श्रेणी में आते है और दूसरे गैर ब्राह्मण हिन्दू भी कभी अस्पृश्य ही रहे है।  सेलेक्टिव सम्बन्ध के तहत विदेशी ब्रह्मिनो ने राज पुरुष , मालदार बेपारी और किसान - मजदुर- कारगर को शूद्र कर काम ज्यादा शोषण किया पर इन सभी से दुरी बनाये राखी।

आज हम यही कह सकते है की गैर ब्राह्मण हिन्दू है और नेटिव है।  ब्राह्मण विदेशी है और उनका ब्राह्मण धर्म अलग है।  यानि हिन्दू वोही , जो ब्राह्मण नहीं।

नेटिविस्ट डी.डी.राउत ,
विचारक ,
मूल भारतीय विचार मंच    

Monday, 18 December 2017

नेटिव हिंदुत्व हमारा मार्गदर्शन।

मुस्लिम एक धर्म है जिस के नाम पर सभी मुस्लिमो को एक किया जा सकता है , सिख , जैन , क्रिस्चियन , बौद्ध भी इसी प्रकार उनके धर्म के नाम पर एक किया जा सकता है ,

अगर ये धर्मान्तरित है तो उन्हें मूल भारतीय भी कह कर जोड़ा जा सकता है , वे अल्पसंख्यांक है , जुट भी जायेंगे पर हिन्दू जो की मेजोरिटी है सब से बड़ा गैर ब्राह्मण तबका है उसे हम जब कोई गैर ब्राह्मण धर्म का नाम नहीं देंगे तो वो विदेशी ब्राह्मण के ही साथ जुड़ा रहेगा चाहे वो मूल भारतीयहि क्यों न हो।

केवल मूल भारतीय एक हो जावो कहने से हिन्दू हमारे साथ नहीं होगा जब तक हम उसे वो हिन्दू है , हिन्दू धर्मी है और विदेशी ब्राह्मण ब्राह्मण धर्मी है नहीं कहेंगे वे विदेशी ब्रह्मिनको भी हिन्दू ही मानते रहेंगे।

ये बड़ी भूल होगी की कोई ये सोचे हिन्दू गैर ब्राह्मण किसी दूसरे गैर ब्राह्मण धर्म में धर्म परावर्तित हो जायेंगे। ये दूर की कवडी है और हिन्दू ऐसे बिलकुल ही पसंद नहीं करते क्यों की वे हिन्दू ही बने रहन चाहते है ,,धर्म परिवर्तन नहीं।

आधा , एक टक्का , एक्का दुक्का लोग ये कर भी ले तो भी हिन्दू की धार्मिक समस्या का समाधान वो नहीं न ही वो वेवहारिक है और विदेशी ब्राह्मण से उन्हें अलग करता है।

तब आवश्यक हो जाता है हिन्दू धर्म और ब्राह्मण धर्म अलग अलग है ये प्रस्थापित करे जो की कबीर के वाणी बीजक से हो चूका है और आंबेडकर का हिन्दू कोड बिल हिन्दू के लिए ही बना है।

ब्राह्मण धर्म, हिन्दू धर्म अलग अलग और तब विदेशी , मूल भारतीय ये मुद्दा ही कामयाब हो सकता है जिस के लिए नेटिव रूल मूवमेंट कहती है

नातिविसम हमारा गुरु है नेटिव हिंदुत्व हमारा मार्गदर्शन।

नेटिविस्ट डी.डी.राउत ,
अध्यक्ष ,
नेटिव रूल मूवमेंट