Friday, 17 November 2017

भित्रे नेमाड़े ना नेटिविज़्म कळले नहीं

विदेशी  ब्रह्मिनांच्या वेदीक , भेदिक, जातीय ,अस्पृश्य - स्पृश्यास्पृश्य आदि ब्राह्मण धर्माच्या टकाऊ आणि तकलादु विचारांना समृद्ध अडगळ म्हणण्या इतके सत्य हिन्दू धर्मी मुर्ख नाहीत।  असे म्हणणे म्हणजे ,कर्क रोगाचे गांडूळ किती सुन्दर आणि प्रिय आहे असेच म्हणण्या सारखे आहे।  हे खरे नेटिविज़्म नव्हे  ते तर विदेशी ब्रह्मिनाना खुश करण्याचे काट कारस्थान होय  व् ब्रह्मिनी अधर्म ला मान्यता देणे होय।  नेटिव रूल मूवमेंट अश्या भित्र्य लोकना नेटिविस्ट मानत नहीं  , उलट आम्ही त्यांचा निषेद करतो।

नेटिविस्ट डी.डी.राउत ,
अध्यक्ष
नेटिव रूल मूवमेंट 

Sunday, 12 November 2017

अम्बेडकरी ब्राहिष्कृतो में हम सत्य हिन्दू धर्मी है कहने की हिम्मत नहीं !

हिन्दू धर्म और ब्राह्मण धर्म अलग अलग है ,हिन्दू  वोही , जो ब्राह्मण नहीं , हिंदुत्व वही जिसमे ब्राह्मण बिलकुल नहीं जैसे ही नेटिविस्ट डी.डी.राउत ने अपने नेटिव रूल मूवमेंट के अंतर्गत सत्य हिन्दू धर्म सभा , मूल भारतीय विचार मंच ,नेटिव पीपल'स पार्टी , हिन्दू रिफॉर्मिस्ट आर्मी के तहत लोगो तक बात पुहचाहि , विदेशी ब्रह्मिनो के साथ साथ , अम्बेडकरी दलित - बुद्धिस्ट , बहिस्कृत , अछूत लोगो के तोते उड़ गए।  आज तक वो बड़े अभिमान से छाती पिट रहे थे की वो जातिवाद , वर्णवाद के खिलाफ लड़ रहे है।  पर हमारे ये कहते ही की हिन्दू धर्म और ब्राह्मण धर्म अलग है और हिन्दू धर्म में वर्ण , जाती , भेदाभेद , अस्पृश्यता नहीं है , उनके विचार की हवा ही फ़ुस्स हो गयी।  जब हिन्दू धर्म और ब्राह्मण धर्म अलग है तो हिन्दू को गाली कैसे दे पाएंगे, और विदेशी ब्रह्मिनो को गाली देने की हिम्मत नहीं तो सारी भड़ास नेटिविस्ट डी.डी.राउत पर ही निकल सकते है ये लोग , और इसका हमें कोई दुःख या अफ़सोस भी नहीं क्यों की ऐसे कमजोर लोग और कमजोर सोच के लोग आखिर कर ही क्या सकते है ?

नेटिविस्ट डी.डी.राउत कहता है  सत्य हिन्दू धर्म में जात नहीं , वर्ण नहीं , हमारा हिन्दू धर्म का एक मात्रा धर्म ग्रन्थ है बीजक तो ये घबरा जाते है , फिर वो अपने आप को अस्पृश्य कैसे कह पाएंगे और तालाबka पानी पिने के लिए संघर्ष किया , मनु स्मृति जलाई कैसे कह पाएंगे , क्यों की ऐसे धर्म को नेटिविस्ट डी.डी.राउत विदेशी ब्राह्मण धर्म कहता है , हिन्दू धर्म नहीं , फिर ये अस्पृश्य जिनो ने तालाब का पानी पिया , मनुस्मृति जलाई वो धर्म तो ब्राह्मण धर्म था हिन्दू धर्म नहीं , खुद को ब्राह्मण और ब्राह्मण धर्म का हिस्सा मानते है , अस्पृश्य मानते है और गाली हिन्दू धर्म और सत्य हिन्दू धर्मी नेटिविस्ट डी.डी.राउत और नेटिव रूल मूवमेंट , सत्य हिन्दू धर्म को देते है ऐसे में क्या होशियारी है ? , कोण सी बुद्धिमत्ता है ?

आप खुद को अस्पृश्य मानते है , हम नहीं , आप खुद को हरिजन , दलित , बहिस्कृत मानते है हम नहीं क्यों की हम हिन्दू है , सत्य हिन्दू धर्मी है , आप ब्राह्मण धर्मी हो , उनके गुलाम हो।

हिम्मत है तो कह के देखो हिन्दू में वर्ण , जाती नहीं है ! पर ये हिम्मत कहा से लावोगे , क्यों की ये हिम्मत तो केवल नेटिविस्ट डी.डी.राउत कर चूका , इस के पहले किसी ने नहीं की , यही इनके पेट दर्द का कारण भी है !

नेटिविस्ट डी.डी.राउत
अध्यक्ष
नेटिव रूल मूवमेंट   
Native Hero Hanuman :

Satya Hindu Dharm Sabha : Satsang :

Bandar ke naam nahi hote hai , ensan ke naam hote hai , esliye ham kahate hai Hanuman ensan the Bandar nahi .

Videshi Brahmin Native Hanuman se etane ghussa huve , etane naraj huve ki bhale change Native Hanuman ko Bandar tak kah dala aur upar se puch laga dali . Kya etana ghussa vajib tha ? Aakhir Native Hanuman ne esa kya kiya tha ? Ek dusare Native Raja Ram ko hi to uski bandi banayi gayi aurat Sita ko chhuda ne ke liye madat ki thi.

Raja Ram ko madat karane wale logo ko Videshi Brahmino ne Bhalu , Ricccha , Bandar kaha . Kya enme unke naam hote hai ? Nahi na . To esi me Videshi Brahmino ki chori pakadi gayi.

Hanuma jis ko uski virata ke kaaran Mahveer bhi kaha jaata hai kuware nahi the . Hanuman ne Koliy samaj ke Native aurat se shadi ki thi jine Makardwaj naam ka ladaka bhi huva tha . Videshi Brahmin yaha bhi zut bolate hai . Kahate hai vo Makar yani paani me rahane wala jiv crocodile tha . Yah sara sar zut hai.

Videshi Brahmin etane jangali the ki ve mare huve janawar aur dusare janawaro se sambhog karate the esliye ve dusare logo ko bhi apane jaise gire huve log samaj te the aur unhe esi baate karane me koi sankoch aur lajja nahi aati thi.

Par ab ham apane Native Hero Hanuman ka apman nahi sahenge nahi unhe Bandar jaisa muh aur puch me batayenge .Janawar to Videshi brahmin the .

Nv. D.D.Raut ,
Prachark , SHDS

Our Message to Nation : Janeu Chhodo , Bharat Jodo

Thursday, 9 November 2017

नॉन ब्रह्मिनो की पोलिटिकल पार्टी बहुत है पर उद्देश्य क्या ?

स्वतंत्र के पहले और बाद में भी बहुत सारे गैर ब्रह्मिनो ने पोलिटिकल पार्टी बनायीं थी , साउथ में डीके ,महाराष्ट्र में रिपब्लिकन पार्टी , फिर बसप , लालू , मुलायम , नितीश , शारद यादव के जयप्रकाश नारायण से जुड़ ने बाद टूट में बानी सप , रजद और कांग्रेस से टूट कर बानी शरद पवार की कांग्रेस राष्ट्रवादी , ठाकरेki शिव सेना , मानसे पर उनकी क्या सोच रही है / क्या उद्देश्य रहा है ? यहाँ तक कुछ पार्टी तो कभी कांग्रेस के साथ तो कभी बीजेपी के साथ जाते हुवे दिखाई देते है।  कुछ पार्टी ने तो सीधे सीधे विदेशी ब्रह्मिनो को न्योता दिया , बड़े पद पर उन्हें बिठाया और दूसरी तरफ लोगो को बेवकूफ भी बनाते रहे , उन्हें ब्राह्मण वाढ से लढना है।  जरा सोच के देखिये अगर गाँधी ये कहते उन्हें ब्रिटिश नहीं ब्रिटिश वाद से परेशानी है तो क्या यह देश स्वतंत्र होता ?

स्वतंत्रता के क्या मायने है ? विदेशी शाशन से मुक्ति , स्वराज , नेटिव रूल / कितने गैर ब्राह्मण लोगो ने स्थापित पार्टी का ये उद्देश्य है ? जरा सभी पार्टी पर नजर डालें , ये लोग आप को बेवकूफ समजते है।  उनका उद्देश्य विदेशी  ब्राह्मण मुक्त हिंदुस्तान नहीं , बस उनके लिए सत्ता और संपत्ति कमाने का जरिया है।  ऐसे लोगो से सावधान हो जावो , चाहे वो गाँधी , क्यों न हो , आंबेडकर क्यों न हो , ठाकरे , पवार , मायावती , मुलायम क्यों न हो , उनका उद्देश्य अब परिवर्तन नहीं पैसा है।

क्या ये लोगो का कोई मिशन है ? बिलकुल नहीं , गंगा गए ,गंगा राम , जमुना गए जमुना दास , यही है उनका असली चेहरा , रामदास देश लीजिये ,रामविलास देख लीजिये , क्या है ?

नेटिव रूल मूवमेंट एकमात्र मिशन है जो डंके की चोट पर कहता है विदेशी ब्रह्मिंस भारत छोडो , हम कहते है जनेऊ छोडो , भारत जोड़ो , इनलोगो से कभी ये सुना है ?

हम नेटिविज़्म को ही गुरु मानते है , वे लोग आप को जाती , जाती में भटकाते है , पचासो फोटो पोस्टर पर लगते है जिन के विचार मेल नहीं कहते वे भी , क्या ऐसे सर्कस से परिवर्तन आएगा ? आरक्षण कोई दवा नहीं यहाँ की बीमारी पर उससे आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं।

हम सब ये नहीं कर सकते , हम उन सभी फालतू विचारो को गोली मरते है जो नेटिव रूल नहीं ला सकता , विदेशी ब्राह्मण मुक्त हिंदुस्तान और हिन्दू नहीं कर सकता।  हम कहते है हिन्दू वही , जो ब्राह्मण नहीं।  कोनसी गैर ब्राह्मण पार्टी ये डंके की चोट पर कहती है / ें के पास कोई मिशन नहीं , उद्देश्य नहीं , विचार नहीं।

नेटिविस्ट डी.डी.राउत
अध्यक्ष ,
नेटिव रूल मूवमेंट
नेटिव पीपल'स पार्टी   

Thursday, 2 November 2017

पहले हिंदुस्तान में केवल एक ही धर्म था जिसे लोग किसी नाम से नहीं बल्कि धर्म कह कर ही फुँकारते थे ,


पहले हिंदुस्तान में केवल एक ही धर्म था जिसे लोग किसी नाम से नहीं बल्कि धर्म कह कर ही फुँकारते थे , जो बहुत ही पुरातन होने के कारण और सिन्दु हिन्दू संस्कृति के पहले से भी चले आने के कारन लोक धर्म ही मान जाता था जिस में समय समय पर कुछ बदलाव भी हुवे थे। मोठे तौर पर ऐसे शिव ने बनाया मान जाता है जिसे सिंधु संस्कृति ने बहुत आगे बढ़ाया , राम , कृष्णा , कबीर ने ऐसे जीवन में उतरा और कबीर ने अपनी वाणी बीजक में फिर एक बार सरल सब्दो में बताया।

इस हिंदुस्तानी , हिन्दू धर्म में जो केवल एक ही धर्म था न कोई भेदभाव था। पर विदेशी ब्राह्मण अपना वैदिक ब्राह्मण धर्म के साथ हिंदुस्तान पर आक्रमण करने के बाद और सिन्दु - हिन्दू संस्कृति के तहस नहस करने के बाद उनका वैदिक ब्राह्मण धर्म केवल एक वर्ण - सवर्ण विदेशी ब्राह्मण मानते रहे। इस प्रकार, उस समय दो धर्म हिंदुस्तान में हुवे एक हिंदुस्तान के मूल हिंदुस्तानी लोगो का धर्म यानि हिन्दू धर्म और विदेशी वैदिक ब्रह्मिनो का वैदिक ब्राह्मण धर्म। वैदिक ब्राह्मण धर्म में वेद से जुड़े कार्य के कारन ऊंचनीच और भेदभाव की नीव पद चुकी थी और चतुर्वेदी , त्रिवेदी , द्विवेदी , वेदी , मिश्रा , उपाध्या , आदि जाती उसमे निर्माण हुवी थी। इस प्रकार उन विदेशी ब्रह्मिनो में वर्ण और जाती , भेदभाव , ऊंचनीच उनके वैदिक ब्राह्मण धर्म का हिस्सा था। जनेऊ में और हावी , हव्य , गौ के मॉस के हिस्सेदारी में भी ऊंचनीच देखा जाता था। ब्राह्मण धर्म में केवल होम हवं , बलि , सोम रस , खुला सेक्स समभंद, रिस्तेदारी का आभाव देखा जाता है जब की हिंदुस्तान के मूल हिन्दू का हिन्दू धर्म पूरी तरह , विक्सित , सभ्य और सुसंकृत था जिस में न को भेद था न वेद , न जाती। यहाँ ध्यान या शिव विद्या जिसे बुद्धिस्ट विपश्यना कहते है को विकास हुवा था जिस से मनो धर्म और नैतिकता को धर्म मन जाता था ,

इस प्रकार उस समय दो धर्म हिन्दू धर्म और वैदिक ब्राह्मण धर्म दो अलग अलग सोच के कारन टकराते रहते थे। राम से समय तक , होम हवन को बंदी थी जिसे हिन्दू राजा सकती से पालन करते थे जिस के लिए सरकारी रक्षक ,या सिपाही भेजे जाते थे।

वैदिक ब्राह्मण धर्म यहाँ का जान जीवन , कृषि बर्बाद कर रहे थे और असमानता फैला रहे थे जिस कारन हिन्दू धर्म से ब्राह्मण धर्म के विरोध में जैन धर्म आउट बौद्ध धर्म का निर्माण हुवा। पर तब भी वैदिक ब्राह्मण धर्म बाज नहीं आया तो मध्य युग में हिन्दू से सिख धर्म , मनुभव पंथ , लिंगायत, वारकरी आदि का निर्माण हुवा। पर तब भी वैदिक ब्राह्मण धर्म बाज नहीं आया.

आज कुछ लोग हिन्दू से शिव धर्म और लिंगायत कोगो को लिंगायत धर्म बता रहे है , उस से कुछ नहीं होगा। छोट मोठे दसो धर्म भले ही हिन्दू धर्म से निकल पड़े , वैदिक ब्राह्मण धर्म को वो बाल बाक़ा भी नहीं कर सकते क्यों की लड़ाई वो नहीं देश और धर्म दोनों की है और वो है हिंदुस्तान , हिन्दू , हिन्दू धर्म विरुद्धा विदेशी ब्राह्मण और विदेशी वैदिक ब्राह्मण धर्म।

या लड़ाई नेटिव रूल मूवमेंट चारो तरफ से लढा रही है। मूल भारतीय विचार मंच , नेटिव पीपल'स पार्टी , सत्य हिन्दू धर्म सभा , हिन्दू रिफॉर्मिस्ट आर्मी अपने काम में लगी हुवी है।

नेटिविस्ट डी.डी.राउत
अध्यक्ष ,

नेटिव रूल मूवमेंट